अपने नेता की गिरफ्तारी पर फायर हुई कांग्रेस, कहा- ‘यह बर्बरता से भी बदतर’

अपने नेता की गिरफ्तारी पर फायर हुई कांग्रेस, कहा- ‘यह बर्बरता से भी बदतर’

Congress Vs BJP: असम में कांग्रेस के प्रवक्ता रीतम सिंह की गिरफ्तारी को लेकर राजनीतिक माहौल गरमा गया है. कांग्रेस ने इस कार्रवाई की कड़ी आलोचना करते हुए इसे ‘बर्बरता से भी बदतर’ करार दिया. पार्टी का कहना है कि सिंह की सोशल मीडिया पोस्ट पूरी तरह से उचित थी, इसके बावजूद उन्हें गिरफ्तार किया गया, जिससे सरकार की मंशा पर सवाल खड़े हो रहे हैं.

कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने सोशल माडिया प्लेटफॉर्म’एक्स’ पर मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा को टैग करते हुए लिखा “मेरे युवा सहयोगी रीतम सिंह की एक बिल्कुल उचित सोशल मीडिया पोस्ट के लिए गिरफ्तारी बर्बरता से भी बदतर है श्रीमान मुख्यमंत्री.” इस पर मुख्यमंत्री शर्मा ने पलटवार करते हुए कहा कि ये मामला एक दलित महिला के जाति-आधारित अपमान से जुड़ा है. उन्होंने कहा कि कांग्रेस नेता एक दलित महिला के पति को ‘बलात्कारी’ कहने को उचित ठहरा रहे हैं. इसके साथ ही उन्होंने बड़ा खुलासा होने की भी बात कही और दावा किया कि कांग्रेस के सीनियर नेता की आईएसआई और पाकिस्तान के साथ साठगांठ सितंबर तक उजागर हो जाएगी.

जयराम रमेश का पलटवार

जयराम रमेश ने मुख्यमंत्री पर पलटवार करते हुए कहा कि वह असली मुद्दे से ध्यान भटकाने की कोशिश कर रहे हैं. उन्होंने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री व्यक्तिगत रूप से पुलिस शक्तियों का दुरुपयोग कर अपने सहयोगियों को फायदा पहुंचा रहे हैं और विरोधियों को फंसा रहे हैं. कांग्रेस नेता गौरव गोगोई ने भी मुख्यमंत्री पर पुलिस बल के गलत इस्तेमाल का आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार लोकतांत्रिक मूल्यों को कमजोर करने की कोशिश कर रही है.

सोशल मीडिया पोस्ट बनी गिरफ्तारी की वजह

लखीमपुर के पुलिस अधीक्षक मिहिरजीत गायन के अनुसार सिंह को भाजपा विधायक मानब डेका की पत्नी की शिकायत पर गिरफ्तार किया गया. सिंह ने 13 मार्च को ‘एक्स’ पर एक पोस्ट किया था, जिसमें साल 2021 में धेमाजी जिले में दुष्कर्म के एक मामले में अदालत की ओर से तीन लोगों को दोषी ठहराए जाने की खबर का जिक्र किया गया था. पुलिस का कहना है कि इस पोस्ट में कुछ संवेदनशील टिप्पणियां की गई थीं, जो एक समुदाय विशेष के प्रति आपत्तिजनक हो सकती हैं. कांग्रेस नेताओं का आरोप है कि ये गिरफ्तारी राजनीतिक प्रतिशोध का नतीजा है और सरकार पुलिस के जरिए विरोधियों की आवाज दबाने का प्रयास कर रही है.

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