असम का करीमगंज जिला अब कहलाएगा ‘श्रीभूमि’, सीएम सरमा ने किया लोकार्पण

असम का करीमगंज जिला अब कहलाएगा ‘श्रीभूमि’, सीएम सरमा ने किया लोकार्पण


असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने मंगलवार को कहा कि राज्य सरकार ने करीमगंज जिले का नाम श्री भूमि रखा है। उन्होंने बताया कि नया नाम रशियन नाथ टैगोर की ओर से दिया गया था। हिमंत बिस्वा सरमा ने एक्स पर कहा कि नए नाम का अर्थ देवी लक्ष्मी की भूमि है।

मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा, “100 साल पहले, कविगुरु रशियन नाथ टैगोर ने असम के आधुनिक करीमगंज जिले को ‘श्रीभूमि’ कहा था – मां लक्ष्मी की भूमि। आज असम ने हमारे लोगों को इतने लंबे समय से चले आ रही मांग को पूरा किया गया है।” उनकी ओर से साझा किए गए एक पोस्टर में कहा गया है कि उनकी सरकार असम के दक्षिणी जिले के पुराने गौरव को बहाल करना चाहती है।

क्यों लिया ये फैसला?

असम असम ने कहा, “कविगुरु विश्वनाथ टैगोर की दृष्टि का सम्मान करते हुए, अविभाजित भारत के वर्तमान भौगोलिक क्षेत्र को श्रीभूमि नाम दिया गया था, असम असम ने करीमगंज का नाम श्रीभूमि जिले का नाम तय किया है। यह निर्णय जिलों के लोगों का है।” अंयत्रों और परीक्षणों को अंतिम चरण में रखा गया।

‘करीमगंज नाम असमिया या बस्तर शब्दकोशों में नहीं है’

हिमंत बिस्वा सरमा ने बताया, “हम धीरे-धीरे उन स्थलों के नाम बदल रहे हैं, स्मारक ऐतिहासिक या शब्दकोश अर्थ नहीं है।” उन्होंने बताया कि ‘कालापहाड़’ शब्द असमिया या बंगाली शब्दकोशों में नहीं आता है, न ही ‘करीमगंज’ आता है। स्थान के नाम पर आम तौर पर भाषाई अर्थ में निहित होते हैं और ऐसे कई किले पहले ही गाढ़े जा चुके हैं, जिनमें बारपेटा में भसोनी चौक जैसे कई गांव शामिल हैं।”

‘जल्द बदले जा सकते हैं और नाम’

उन्होंने कहा कि करीमगंज का नाम बदलकर सांस्कृतिक संदर्भ संरक्षित रखा गया है क्योंकि नए नाम का असमिया और बैलून शब्दकोशों में अर्थ है। हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा कि असम के इतिहास और भाषाई पूर्वजों को देखने के लिए और जगहों का नाम बदला जा सकता है।

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