आजादी के आंदोलन का रहा गवाह, आजाद मैदान पर फडणवीस लेंगे शपथ, जानें क्यों है ये खास

आजादी के आंदोलन का रहा गवाह, आजाद मैदान पर फडणवीस लेंगे शपथ, जानें क्यों है ये खास

Azad Maidan Mumbai:  देवेंद्र फडणवीस महाराष्ट्र के अगले मुख्यमंत्री होंगे, जो कल (5 दिसंबर, 2024) शाम 5:00 बजे मुंबई के आजाद मैदान में शपथ लेंगे. शपथ ग्रहण के पहले आजाद मैदान में समारोह की तैयारियां जारी है. देवेंद्र फडणवीस की शपथ ग्रहण के समय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ-साथ एनडीए शासित राज्यों के तमाम मुख्यमंत्री और कई कद्दावर नेता भी मौजूद होंगे. बात जब आजाद मैदान की हो तो यह कई मायनों में ऐतिहासिक है. आजाद मैदान में न केवल राजनीतिक रैलियां हुई हैं बल्कि क्रिकेट मैच, किसान आंदोलन और धार्मिक आंदोलन का भी गवाह रहा है

शुरुआती दिनों में एस्प्लेनेड नाम से जाने जाने वाले इस मैदान का नाम बदलकर आजाद मैदान कर दिया गया था क्योंकि इसने भारत के स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. आजाद मैदान ने बंबई को मुंबई में तब्दील होते देखा है. आजादी को लेकर भी यहां कई आंदोलन हुए हैं. महात्मा गांधी की कई खास सभाएं इस मैदान में हुई है.

भारी भीड़ ने किया था महात्मा गांधी का स्वागत

जब मई 1930 में महात्मा गांधी को गिरफ्तार किया गया तो शहर में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए और आजाद मैदान सहित कई स्थानों पर बड़े पैमाने पर रैलियां निकाली गईं. 25 जनवरी 1931 को रिहा होने के बाद शहर में भारी भीड़ ने महात्मा गांधी का स्वागत किया. 26 जनवरी 1931 को एक सार्वजनिक सभा बुलाई गई थी क्योंकि यह पूर्ण स्वराज (तब स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाया जाता था) की घोषणा के बाद से पहला वर्ष था. इस मैदान में बंबई के दो लाख से ज़्यादा नागरिक बड़ी संख्या में इकट्ठा हुए, जिनमें मजदूर, महिलाएं, छात्र आदि शामिल थे.

रद्द करनी पड़ी थी सभा 

जब महात्मा गांधी अपना भाषण देने के लिए मंच पर पहुंचे तो भीड़ इतनी अधिक हो गई कि भगदड़ मच गई, जिसके परिणामस्वरूप बैठक रद्द कर दी गई. मार्च 1931 में गांधी जी शहर वापस लौटे और मैदान में एक और सार्वजनिक बैठक आयोजित की गई. सुरक्षा उपायों के बावजूद, जैसे ही गांधी जी ने बोलना शुरू किया तो भीड़ का उत्साह बढ़ गया, जिसके कारण सभा रद्द कर दी गई, जैसा कि पिछले अवसर पर हुआ था. इस अवधि के दौरान बॉम्बे के लोगों में देशभक्ति का जोश अपने चरम पर था. आजाद मैदान में लोगों की सबसे बड़ी भीड़ उमड़ी और यह स्वतंत्रता संग्राम के दौरान सक्रियता का एक महत्वपूर्ण केंद्र बना रहा.

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