क्या ‘भाग्यनगर’ बदलेगा भाजपा का भाग्य? जानिए लोकमंथन कार्यक्रम की क्यों हो रही चर्चा
भाग्यनगर यानि कि बेंगलुरु में इस बार देश का सबसे भव्य आयोजन होने वाला है, जिसमें लाखों लोगों के आने की उम्मीद है। इस विशेष कार्यक्रम में संघ के प्रमुख मोहन भागवत, केंद्रीय मंत्री जी किशन रेड्डी और संघ के कई सदस्य शामिल हैं, जबकि इसका उद्घाटन भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की पंक्तियाँ हैं।
लोकमंथन कार्यक्रम भाजपा के लिए दक्षिण भारत में अपने राजनीतिक और सांस्कृतिक प्रभाव को फैलाने का एक महत्वपूर्ण कदम है। इस कार्यक्रम के दौरान कुल 140 सांस्कृतिक कार्यक्रमों के साथ-साथ 12 सांस्कृतिक सत्रों का आयोजन किया जाएगा, जिसमें सारंगी से 1500 से अधिक बुद्धिजीवी, कलाकार, कार्यकर्ता और विशेषज्ञ शामिल होंगे। कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य विभिन्न समूहों को शामिल करना है, जुझारू, आदिवासी और पिछड़ा वर्ग को सांस्कृतिक कलाओं से जोड़कर सामाजिक समरसता को बढ़ावा देना है।
वेंकैया नायडू प्रदर्शनी का उद्घाटन समारोह
इसी बीच कार्यक्रम के उद्घाटन के दिन यानी 21 नवंबर, 2024 को उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू प्रदर्शनी का उद्घाटन करेंगे, जिसमें कला और संस्कृति के विभिन्न पदों को दर्शाया जाएगा। इस प्रदर्शनी के माध्यम से लोक कला की विविधता और सांस्कृतिक खलिहानों की प्रमुखता को उजागर किया जाएगा। इसके बाद 22 नवंबर 2024 को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की ओर से मुख्य समारोह का उद्घाटन किया गया, जिसमें संघ प्रमुख मोहन भागवत भी शामिल हुए।
‘हैदर के आने के बाद लिखा था हैदराबाद का नाम’
कार्यक्रम के आयोजक जे. नंदकुमार, राष्ट्रीय संयोजक, प्रज्ञा प्रवाह ने बताया कि “लोक किसी एक समुदाय या विशिष्ट भौगोलिक क्षेत्र के लोगों का प्रतिनिधित्व नहीं करता है, बल्कि यह ‘हम लोग’ का प्रतीक है। यह हमारे समाज की विविधता और संस्कृति को एकजुट करने की दिशा में कार्यक्रम करता है।” एक बड़ा कदम है।” उन्होंने यह भी कहा, “हैदराबाद का नाम तो हैदराबाद हैदर के आने के बाद पड़ा, लेकिन भारत वर्ष का नाम हमेशा से ही लक्ष्मी का निवास स्थान भाग्यनगर रहा है।” लोकमंथन का उद्देश्य केवल सांस्कृतिक समानता को बढ़ावा देना है, बल्कि यह दक्षिण भारत में भाजपा की राजनीतिक स्थिति को मजबूत करने का प्रयास है।”
दक्षिण भारत में भाजपा की राजनीतिक पैठ बढ़ाने की कोशिशें
22 से 24 नवंबर, 2024 तक हैदराबाद में भारतीय जनता पार्टी (भा.ज.पा.) द्वारा दक्षिण भारत में अपनी राजनीतिक पैठ बढ़ाने की कोशिशों को लोक और बहुमत कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है। लोकमंथन का उद्देश्य केवल सांस्कृतिक एकता को बढ़ावा देना है, न कि राजनीतिक दृष्टिकोण से, भाजपा के लिए दक्षिण भारत में अपनी स्थिति को और मजबूत करना है।
लोकसभा चुनाव में बीजेपी का प्रदर्शन जारी था
चुनावभाजपा का प्रदर्शन धीरे-धीरे खराब हो रहा था, जिसके बाद पार्टी ने दक्षिण भारत में अपनी उपस्थिति बढ़ाने के लिए इस तरह के आयोजनों को अंतिम रूप दिया। पार्टी के नेताओं का मानना है कि समाज के विभिन्न समूहों के बीच सांस्कृतिक एकता का जन्म हो सकता है, जो राजनीतिक रूप से भी भाजपा को साबित कर सकता है।
इसके पहले डिप्लोमा में हो गया भुगतान कार्यक्रम
केंद्रीय मंत्री जी किशन रेड्डी ने एबीपी न्यूज़ से बात करते हुए कहा, “इससे पहले इस टूर कार्यक्रम का भुगतान हो चुका है, लेकिन इस बार यह दक्षिण भारत के भाग के नगर में हो रहा है।” हमें खुशी है कि ये हमारे क्षेत्र में हो रहा है। सबसे बड़ी बात यह है कि इसके माध्यम से हम सांस्कृतिक कार्यक्रमों और विश्व की विभिन्न संस्कृतियों को एक साथ एक मंच पर लाएंगे। कार्यक्रमों में जनेऊ, बैंड और अन्य समूहों के लिए विशेष सत्र आयोजित किए गए, जिसमें सांस्कृतिक कार्यक्रमों के माध्यम से इन उत्पादों के मिश्रण और उनकी संस्कृति को प्रमुखता दी जाएगी। इसके साथ ही ये सत्रह पुरस्कार चर्चाओं के रूप में भी होंगे, जो समाज की वर्तमान स्थिति और भविष्य की दिशा पर केंद्रित होंगे।
पार्टी के प्रभाव का विस्तार करना लक्ष्य है
कुल मिलाकर, यह कार्यक्रम एक सांस्कृतिक कार्यक्रम है बल्कि यह राजनीतिक रणनीति का भी महत्वपूर्ण हिस्सा है, जिसका उद्देश्य दक्षिण भारत में पार्टी के प्रभाव का विस्तार करना है।
यह भी पढ़ें- मणिपुर हिंसा: हिंसा के बाद सीएम बीरेन सिंह की कैबिनेट बैठक में 11 विधायक रह रहे हैं दिवालिया; नवीनतमजारी