घोटाले का पर्दाफाश करने की मिली सजा, SSP समेत तीन अधिकारियों का हो गया ट्रांसफर

Sensible Metropolis Undertaking Rip-off: जम्मू-कश्मीर सरकार द्वारा भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB) में किए गए तबादलों की कड़ी आलोचना की जा रही है. ACB द्वारा स्मार्ट सिटी परियोजना में भ्रष्टाचार की जांच शुरू करने और एफआईआर दर्ज करने के 48 घंटे बाद ही यह तबादला कर दिया गया. विपक्षी दल जहां सरकार की मंशा पर सवाल उठा रहे हैं, वहीं सोशल मीडिया यूजर्स स्मार्ट सिटी भ्रष्टाचार जांच में लीपापोती का आरोप लगा रहे हैं.
सरकार ने गुरुवार को वहीद अहमद शाह समेत तीन वरिष्ठ पुलिस अधीक्षकों (एसएसपी) को भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) से गृह विभाग में वापस भेजने का आदेश दिया.
पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने इस कदम की आलोचना करते हुए सरकार पर भ्रष्टाचार को उजागर करने वाले अधिकारियों को दंडित करने का आरोप लगाया और कहा कि तबादलों ने जम्मू-कश्मीर में भ्रष्टाचार को रोकने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता पर गंभीर चिंता जताई है.
महबूबा मुफ्ती ने लिखा है, “भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) से अब्दुल वाहिद और उनके सहयोगियों को हटाया जाना भ्रष्टाचार को चुनौती देने वाले अधिकारियों के सामने आने वाले जोखिमों को उजागर करता है. यह भ्रष्ट और सबसे शक्तिशाली लोगों के बीच सांठगांठ को उजागर करता है. मुखबिर को दंडित करने की इस कार्रवाई ने भ्रष्टाचार की जांच की आड़ में कश्मीरियों की संपत्तियों पर छापेमारी करने के लिए एसीबी सहित विभिन्न एजेंसियों का उपयोग करने के पीछे सरकार की असली मंशा को उजागर किया है. यह सरकार की न्याय और जवाबदेही के प्रति प्रतिबद्धता पर सवाल उठाता है.”
The removing of Abdul Wahid & his colleagues from the Anti-Corruption Bureau (ACB) highlights the dangers confronted by officers who problem corruption. It exposes nexus between the corrupt &strongest. This motion of punishing the whistleblower has revealed the federal government’s true… pic.twitter.com/Ua3OHQMvpS
— Mehbooba Mufti (@MehboobaMufti) January 17, 2025
यह प्रत्यावर्तन श्रीनगर स्मार्ट सिटी लिमिटेड परियोजना से संबंधित भ्रष्टाचार के आरोपों की एसीबी द्वारा चल रही जांच के बीच हुआ है.
इन पर लगे थे भ्रष्टाचार के आरोप
तत्कालीन एसएसपी एसीबी वहीद अहमद शाह के नेतृत्व में की गई जांच में हाल ही में महत्वपूर्ण अनियमितताओं का खुलासा हुआ था. श्रीनगर स्मार्ट सिटी लिमिटेड के कार्यकारी अभियंता जहूर डार और मुख्य वित्तीय अधिकारी साजिद यूसुफ भट पर महत्वाकांक्षी स्मार्ट सिटी पहल के तहत घटिया काम करने और अपनी आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने के आरोप में भ्रष्टाचार के आरोप लगाए गए हैं.
जम्मू में हाल ही में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान वहीद अहमद शाह ने कथित भ्रष्टाचार के पैमाने को उजागर किया था, जिसमें सार्वजनिक परियोजनाओं में पारदर्शिता और जवाबदेही की आवश्यकता पर जोर दिया गया था. हालांकि, शाह और उनके सहयोगियों के ट्रांसफर ने इस बारे में संदेह पैदा कर दिया है कि क्या सरकार वास्तव में भ्रष्टाचार विरोधी प्रयासों का समर्थन करने के लिए प्रतिबद्ध है या उन्हें दबाने का प्रयास कर रही है.
सोशल मीडिया पर ट्रेंड कर रहा ट्रांसफर ऑर्डर
सोशल मीडिया यूजर्स ने मिश्रित प्रतिक्रियाएं व्यक्त की हैं. कुछ लोग तर्क दे रहे हैं कि अधिकारियों की पुनः नियुक्ति नियमित और प्रशासनिक प्रकृति की है, अन्य इसे एसीबी की स्वतंत्रता को कमजोर करने के लिए एक रणनीतिक कदम के रूप में देखते हैं.
श्रीनगर में एक वरिष्ठ अधिवक्ता ने कहा, “यह निर्णय उन ईमानदार अधिकारियों को एक डरावना संदेश देता है जो भ्रष्टाचार को जड़ से खत्म करने का प्रयास कर रहे हैं. यह सरकार के भ्रष्टाचार विरोधी रवैये की विश्वसनीयता पर भी संशय डालता है.”
स्मार्ट सिटी परियोजना में एसीबी की जांच पर बारीकी से नज़र रखी जा रही है क्योंकि इसमें हाई-प्रोफाइल शख्सियतें और सरकारी धन शामिल है. पर्यवेक्षकों को डर है कि प्रमुख अधिकारियों को अचानक हटाने से चल रही जांच धीमी हो सकती है या पटरी से उतर सकती है.
श्रीनगर स्मार्ट सिटी परियोजना भारत सरकार के शहरी विकास मंत्रालय (एमओयूडी) की परियोजना का हिस्सा है. श्रीनगर के लिए इस परियोजना को अप्रैल 2017 में क्षेत्र आधारित विकास और सड़क एवं परिवहन सहित अन्य शहरी समाधानों के लिए 3535 करोड़ से अधिक के बजट के साथ मंजूरी दी गई थी और यही परियोजनाएं अब भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) की जांच के दायरे में हैं.
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