दिल्ली की स्केच हवा से कार्टून में हो रही भारत की फजीहत, COP29 में हुई चर्चा, कनाडा ने कहा- गर
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दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण: दिल्ली- भारत की खराब हवा न सिर्फ यहां के लोगों की परेशानियां बढ़ रही हैं, बल्कि इंटरनेशनल लेवल पर भारत की फजीहत भी करवा रही है। इसे लेकर दूसरे देशों की चर्चा करने लगते हैं. ऐसा ही कुछ नजारा अजरबैजान की राजधानी बाकू में पर्यावरण को लेकर आयोजित COP29 समिति में देखने को मिला। इस सम्मेलन में दिल्ली की लगातार बढ़ती एयर क्वॉलिटी स्टॉक्स पर काफी चर्चा हुई।
ब्लास्टर्स ने वायु प्रदूषण के स्वास्थ्य खतरों के बारे में चेतावनी दी और वैल्युएबल ग्लोबल एक्शन की मांग की। क्लाइमेट ट्रेंड्स की निदेशक आरती खोसला ने कहा कि दिल्ली का AQI खतरनाक स्तर पर पहुंच गया है, कुछ इलाकों में 1,000 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर से अधिक कण प्रदूषण दर्ज किया गया है। प्रदूषण कई आपदाओं जैसे ब्लैक कार्बन, ओजोन, फ़ार्म जंगल के विनाश और अकारण में आग लगना पाया जाता है। उन्होंने कहा कि हमें ऐसे समाधानों की आवश्यकता है जो सभी से आवश्यक हों।
49 सिगरेट पीने के बराबर दिल्ली में सांस लेना
बॉट ने यह भी कहा कि दिल्ली की हवा इतनी जहरीली हो गई है कि अब यह रोज 49 सिगरेट पीने के बराबर है। खोसला ने यह भी बताया कि ला नीना मौसम की स्थिति के दौरान हवा की गति कम होने से प्रदूषकों को फंसाया जा रहा है, जिससे स्थिति और खराब हो रही है।
कैनेडा का ज़िक्र कर्ज़ तांडव करने की कोशिश
ग्लोबल क्लाइमेट एंड हेल्थ एलायंस के उपाध्यक्ष कोर्टनी हॉवर्ड ने कनाडा का अपना अनुभव साझा करते हुए कहा कि 2023 में जंगल की आग के कारण 70 प्रतिशत आबादी क्षेत्र खाली हो गया। यह हमारे जैसे अमीर देश के लिए भी महंगा था। उन्होंने कहा कि इस तरह की आपदाओं से उबरने के लिए गरीब देशों को वित्तीय मदद की जरूरत है।
‘बच्चों के साथ हो रहे साथी’
ब्रीथ मंगोलिया के सह-संस्थापक एनखुन ब्याबाडोर्ज ने अपने देश में गंभीर वायु प्रदूषण की समस्या प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि शहरों में रहने वाले बच्चों के फेफड़ों की क्षमता ग्रामीण इलाकों की तुलना में 40 प्रतिशत कम है। हम जिस हवा में सांस लेते हैं, वह एक समाज के रूप में हमारा चुनाव है, लेकिन यह हमारे बच्चों के भविष्य को नुकसान पहुंचा रहा है।
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