‘दोहरे मानदंड नहीं अपनाने चाहिए’, रूसी तेल पर ईयू की पाबंदियों के बीच बोले विक्रम मिसरी

‘दोहरे मानदंड नहीं अपनाने चाहिए’, रूसी तेल पर ईयू की पाबंदियों के बीच बोले विक्रम मिसरी

विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने मंगलवार (22 जुलाई, 2025) को कहा कि भारत अपने लोगों के लिए ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करने को सर्वोच्च प्राथमिकता देता है और यूरोपीय देशों को ऊर्जा संबंधी प्रतिबंधों जैसे मामलों में संतुलन बनाने और एक स्पष्ट दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता है.

विक्रम मिसरी की यह टिप्पणी ऐसे समय आई है जब यूरोपीय संघ ने कुछ दिन पहले रूसी ऊर्जा क्षेत्र को निशाना बनाते हुए नए दंडात्मक उपायों की घोषणा की थी जिसमें गुजरात में वाडिनार रिफाइनरी पर प्रतिबंध भी शामिल था.

विक्रम मिसरी ने प्रेस वार्ता में रूस के खिलाफ यूरोपीय संघ (EU) की ओर से घोषित नए प्रतिबंधों के पीछे सुरक्षा संबंधी चिंताओं का उल्लेख किया, लेकिन कहा कि शेष विश्व भी इसी तरह के मुद्दों से जूझ रहा है.

उन्होंने कहा कि ऊर्जा संबंधी मुद्दों पर दोहरे मानदंड नहीं अपनाना महत्वपूर्ण है. विक्रम मिसरी ने यह टिप्पणी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ब्रिटेन और मालदीव की चार दिवसीय यात्रा पर आयोजित एक प्रेस वार्ता में एक सवाल के जवाब में की.

उन्होंने कहा, ‘हम इस बात पर बहुत स्पष्ट हैं कि जहां तक ऊर्जा सुरक्षा का प्रश्न है, भारत के लोगों को ऊर्जा सुरक्षा प्रदान करना भारत सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है और इस संबंध में हमें जो भी करना होगा, हम करेंगे.’ विक्रम मिसरी से पूछा गया था कि क्या रूसी ऊर्जा क्षेत्र को निशाना बनाते हुए पश्चिमी देशों की ओर से लगाए गए ताजा प्रतिबंधों के मद्देनजर ऊर्जा सुरक्षा से संबंधित मुद्दे प्रधानमंत्री मोदी और उनके ब्रिटिश समकक्ष केअर स्टार्मर के बीच वार्ता में उठेंगे.

यूक्रेन पर आक्रमण के कारण मॉस्को के विरुद्ध पश्चिमी देशों के बढ़ते प्रतिबंधों के बावजूद भारत ने पिछले कुछ सालों में रूस से अपनी ऊर्जा खरीद में उल्लेखनीय वृद्धि की है. वर्तमान में कुल आपूर्ति में लगभग 35 प्रतिशत हिस्सेदारी रूसी कच्चे तेल की है, जिसके बाद इराक और सऊदी अरब का स्थान है.

विक्रम मिसरी ने कहा, ‘जैसा कि हमने पहले कहा है, यह महत्वपूर्ण है कि ऊर्जा संबंधी मुद्दों पर दोहरे मापदंड नहीं अपनाये जाएं और वैश्विक ऊर्जा बाजार की वास्तविक स्थिति को स्पष्ट दृष्टिकोण से देखा जाए कि ऊर्जा उत्पादों के आपूर्तिकर्ता कहां स्थित हैं, वे कहां से आने वाले हैं और किसे, किस समय, ऊर्जा की आवश्यकता है.’

उन्होंने कहा, ‘मुझे लगता है कि इन मामलों को पर्याप्त रूप से नहीं समझा गया है.’ पिछले सप्ताह 27 देशों के यूरोपीय संघ द्वारा घोषित प्रतिबंधों के 18वें पैकेज में रूस के तेल और ऊर्जा क्षेत्र के राजस्व पर अंकुश लगाने के उद्देश्य से कई उपाय शामिल थे. इसमें रूसी कच्चे तेल से बने और किसी तीसरे देश से आने वाले परिष्कृत पेट्रोलियम उत्पादों के आयात पर प्रतिबंध शामिल है.

इन उपायों में तेल की कीमत की सीमा को 60 अमेरिकी डॉलर प्रति बैरल से घटाकर लगभग 48 अमेरिकी डॉलर प्रति बैरल करना और वाडिनार रिफाइनरी को प्रतिबंधित करना शामिल है, जिसमें रूसी ऊर्जा कंपनी रोजनेफ्ट की बड़ी हिस्सेदारी है.

यूरोपीय संघ की ओर से नए उपायों की घोषणा किए जाने के कुछ ही घंटे बाद, भारत ने कहा कि दोहरे मापदंड नहीं होने चाहिए, खासकर जब ऊर्जा व्यापार की बात हो. विक्रम मिसरी ने कहा कि भारत समझता है कि यूरोप एक बड़े सुरक्षा मुद्दे का सामना कर रहा है और बाकी दुनिया भी ऐसे ही मुद्दों से जूझ रही है. उन्होंने कहा, ‘मुझे लगता है कि इन मुद्दों पर बात करते समय संतुलन और दृष्टिकोण बनाए रखना जरूरी है.’

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