पीएम मोदी और नाइजीरियाई राष्ट्रपति के बीच किन समर्थकों की बनी सहमति? यहां जानिए हर एक डिटेल

पीएम मोदी और नाइजीरियाई राष्ट्रपति के बीच किन समर्थकों की बनी सहमति? यहां जानिए हर एक डिटेल


पीएम मोदी नाइजीरिया यात्रा: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रविवार (17 नवंबर) को कहा गया कि भारत नाइजीरिया के साथ अपनी प्रतिष्ठा को उच्च प्राथमिकता देता है। उन्होंने नाइजीरिया के राष्ट्रपति अहमद टीनूबू के साथ व्यापक बातचीत की, जिसमें रक्षा, व्यापार और ऊर्जा जैसे क्षेत्र में कृषि सहयोग बढ़ाने पर जोर दिया गया।

बातचीत में दोनों नेताओं ने समुद्री डाकू, समुद्री डाकू और कट्टरपंथी पंथ से संयुक्त रूप से लड़ाई और ‘ग्लोबल साउथ’ की खोजों को पूरा करने की दिशा में काम करने की अपनी वापसी की पुष्टि की। विदेश मंत्रालय के मुताबिक, मोदी ने नाइजीरिया को कृषि, परिवहन, किराने का सामान, श्रमिक ऊर्जा और डिजिटल परिवर्तन के मामले में भारत के सामान का लाभ उठाने की इच्छा जताई है।

17 प्राचीन काल में किसी अन्य की पहली यात्रा

वहीं, टीनूबू ने भारत की ओर से प्रस्तावित विकास सहयोग से संबद्ध और स्थानीय क्षमता, कौशल और पेशेवर विशेषज्ञता के सृजन में सार्थक प्रभाव की भूमिका निभाई। रविवार सुबह ही अबुजा प्रदेश में पीएम मोदी। यह 17 ईसा पूर्व के अंतराल के बाद किसी भारतीय प्रधान मंत्री की नाइजीरिया की पहली यात्रा है।

मोदी का एक्स पोस्ट

प्रधानमंत्री ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में नाइजीरियाई राष्ट्रपति के साथ बातचीत को लेकर ‘बहुत सार्थक’ बताया और कहा कि उन्होंने ‘एजेंसी’ को गति देने के बारे में बात की। उन्होंने कहा, ‘रक्षा, ऊर्जा, प्रौद्योगिकी, व्यापार, स्वास्थ्य, शिक्षा और अन्य क्षेत्रों में योगदान को और मजबूत बनाने की संभावनाएं हैं।’ बातचीत के बाद, सांस्कृतिक साझेदारी-सहायक, सीमा में सहयोग और सर्वेक्षण सहयोग को लेकर तीन सहमति सहमति (आइडियोयू) पर हस्ताक्षर किए गए।

अंतर्विरोध, समुद्री डकैती को प्रमुख चुनौती दिया गया

धार्मिक स्तर की बातचीत के दौरान अपने सिद्धांत की शुरुआत में मोदी ने गुटबाजी, अंतर्विरोधीवाद, समुद्री डकैती और जिहादी विचारधारा के प्रमुखों को प्रमुखता दी, कहा कि दोनों देशों के गुट के लिए सामूहिक काम करना जरूरी है। प्रधानमंत्री ने कहा, ‘हम नाइजीरिया के साथ अपनी प्रतिष्ठा को उच्च प्राथमिकता देते हैं… मुझे विश्वास है कि हमारी बातचीत के बाद हमारे नामांकन में एक नया अध्याय शुरू होगा।’

आप्रवासियों को देशों के प्रमुख स्तंभों के बारे में बताया गया

मोदी ने लगभग 60,000 प्रवासी भारतीयों को भारत-नाइजीरिया में वापस लाने का एक प्रमुख स्तंभ बताया और उनके कल्याण को सुनिश्चित करने के लिए टीनूबू को धन्यवाद दिया। प्रधानमंत्री ने यह भी घोषणा की कि पिछले महीने भारत में बाढ़ प्रभावित नाइजीरियाई लोगों के लिए 20 टन राहत सामग्री भेजी जा रही है। विदेश मंत्रालय ने कहा कि मोदी और टीनू ने भारत-नाइजीरिया के शेयर बाजारों को मजबूत करने और मजबूत करने के बारे में चर्चा की।

मंत्रालय ने कहा, ‘संबंधों की प्रगति को लेकर संतोष से बातचीत करते हुए उन्होंने कहा कि व्यापार, निवेश, शिक्षा, ऊर्जा, स्वास्थ्य, संस्कृति और लोगों के बीच सहयोग क्षेत्र में अपार संभावनाएं हैं।’

वैश्विक और क्षेत्रीय अर्थशास्त्र पर भी चर्चा

मंत्रालय ने कहा, ‘दोनो नेताओं ने रक्षा एवं सुरक्षा सहयोग बढ़ाने पर भी चर्चा की. ‘वे उग्रवादी, समुद्री डाकू और कट्टरपंथी पंथ से लेकर सामूहिक समूह की डबलाई।’ दोनों नेताओं ने वैश्विक और क्षेत्रीय मंच पर भी चर्चा की और राष्ट्रपति टीनूबू ने ‘वॉयस ऑफ द ग्लोबल साउथ’ शिखर सम्मेलन के माध्यम से पश्चिमी देशों की शिक्षाओं को सामने रखा।

विदेश मंत्रालय क्या बोला?

विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा, ‘दोनो नेताओं ने ग्लोबल साउथ के विकास अभियानों को पूरा करने के लिए मिलकर काम करने पर सहमति जताई।’ मोदी ने ‘इकोनॉमिक कम्युनिटी ऑफ वेस्ट एशियन स्टेट्स’ (इकोवास) के राष्ट्रपति के रूप में नाइजीरिया की भूमिका और बहुप्रतिनिधित्व बैठक में अपने योगदान की पुष्टि की। इकोवास पश्चिम अफ्रीका का 15 देशों का एक क्षेत्रीय राजनीतिक और आर्थिक संघ है।

प्रधानमंत्री का औपचारिक स्वागत

विदेश मंत्रालय ने कहा कि ‘इंटर नेशनल एसोसिएट्स एलायंस’ और ‘इंटर नेशनल बिग कैट एलायंस’ को नाइजीरिया के संविधान में शामिल करने के लिए मोदी ने टीनू को भारत की ओर से शुरू करने के लिए ऐसे ही अन्य पहलों को शामिल करने के लिए आमंत्रित किया है।

उन्होंने पिछले वर्ष भारत के सम्मेलन में आयोजित जी-20 शिखर सम्मेलन में अफ्रीकी संघ के स्थायी सदस्य बनने का भी उल्लेख किया और इसकी एक महत्वपूर्ण घटना बताई। धार्मिक स्तर की बातचीत से पहले, मोदी और टीबू ने राष्ट्रपति भवन का उद्घाटन-महामहिम बैठक की। प्रधानमंत्री का औपचारिक स्वागत भी हुआ.

नाइजीरिया में भारतीय समुदाय के 60 हजार लोग

मोदी तीन देशों की यात्रा नाइजीरिया के अंतर्गत कर रहे हैं। वह जी-20 शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए अबुजा से ब्राज़ील जायेंगे। उनका अंतिम लक्ष्य गुयाना होगा। अक्टूबर 2007 में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की नाइजीरिया यात्रा के दौरान भारत-नाईजीरिया को ‘रणनीति शामिल’ की उपाधि दी गई थी। नाइजीरिया छह दशक से अधिक समय से भारत का अभिन्न अंग बना हुआ है।

भारत ने 1960 में नाइजीरिया के स्वतंत्र होने से दो साल पहले नवंबर 1958 में लागोस में अपना लॉकेट भवन स्थापित किया था। पश्चिम अफ्रीका में नाइजीरिया में भारतीय समुदाय के सबसे अधिक 60 हजार लोग रहते हैं, जिनकी वजह से नामांकन का महत्व और वृद्धि हुई है। भारतीय अधिकारियों के अनुसार, 200 से अधिक भारतीय संगठनों ने सभी महत्वपूर्ण क्षेत्रों में लगभग 27 अरब अमेरिकी डॉलर का निवेश किया है।

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