मानसरोवर यात्रा और भारत-चीन के बीच सीधी उड़ान फिर से शुरू होगी! जी-20 समित में बन गई बात

मानसरोवर यात्रा और भारत-चीन के बीच सीधी उड़ान फिर से शुरू होगी! जी-20 समित में बन गई बात


भारत और चीन ने लगभग पांच राज्यों के बाद सीमा मुद्दे पर अपनी विशेष बैठक में जल्द से जल्द मुसलमानों का फैसला लिया है। दोनों राष्ट्रों ने यह निर्णय लिया पूर्वी नरसंहार में दो राक्षस वाले स्थान से अपने सैनिकों को वापस मछली के कुछ सप्ताह बाद लिया जाता है।

विदेश मंत्री एस. जयशंकर और उनके चीनी समकक्ष वांग यी के बीच सोमवार देर रात (18 नवंबर 2024) रियो डी जेनेरियो में जी-20 शिखर सम्मेलन के दौरान बातचीत हुई, भारत-चीन सहयोग में अगले कदमों पर चर्चा की गई। विदेश मंत्रालय के अनुसार, दोनों कंपनियों ने महसूस किया कि सशक्तीकरण को स्थिर करना, मूल्यों को दूर करना और अगला कदम उठाना जरूरी है।

सैनिकों की वापसी और शांति बनाए रखें

पूर्वी विद्रोह में डेपसांग और डेमचोक पर नियंत्रण वास्तविक रेखा (एलएसी) में सैनिकों की वापसी की प्रक्रिया पूरी होने के बाद दोनों पक्षों के बीच यह पहली उच्च स्तरीय बातचीत थी। विदेश मंत्रालय ने कहा कि दोनों मंत्रालय ने माना है कि सैनिकों की वापसी से शांति स्मारक और रखरखाव में मदद मिली है। इस चर्चा का मुख्य विषय भारत-चीन अधिग्रहण में अगले चरण थे। दोनों स्टार्स ने इस बात पर सहमति जताई कि विशेष स्टूडियो और विदेश सचिव-उपमंत्री स्तर की बैठक जल्द ही होगी।

बैठक में प्रमुख मुद्दे तय किये गये

विदेश मंत्रालय के अनुसार, बैठक में कई प्रमुख कदमों पर चर्चा की गई, जिसमें कैलाश मानसरोवर यात्रा को शुरू करना, सीमा पार की नदियों पर आंकड़े साझा करना, भारत और चीन के बीच सीधी उड़ानें और मीडिया कट्टरपंथियों के गठबंधन फिर से शामिल हैं। इस बैठक में खास तौर पर अहम बात कही गई, क्योंकि पिछले कुछ वर्षों से कोविड-19 महामारी की वजह से दोनों देशों के बीच सीधी उड़ानें और कैलाश मानसरोवर यात्रा निलंबित कर दी गई थी।

भारत की विदेश नीति और वैश्विक स्थिति पर चर्चा

बैठक में विदेश मंत्री जयशंकर ने वांग से कहा कि भारत प्रभुत्व ने अन्य देशों के खिलाफ दीर्घकालिक दृष्टिकोण स्थापित करने की योजना बनाई है और वह अपने दावों को अन्य देशों के हितों से दूर रखता है। विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा, ”वैश्विक स्थिति और अंतरराष्ट्रीय स्थिति पर विदेश मंत्री ने कहा कि भारत और चीन के बीच समानताएं और समानताएं दोनों हैं।” हमने ब्रिक्स और एससीएओ (शंघाई सहयोग संगठन) में जबरदस्ती से काम किया है।”

वांग यी की सहमति और प्रस्ताव को बेहतर बनाने का दावा

विदेश मंत्रालय के अनुसार, विदेश मंत्री वांग यी ने जयशंकर के साथ एक सहमति प्रस्ताव में कहा कि भारत-चीन का अधिग्रहण विश्व राजनीति में महत्वपूर्ण है। वांग ने कहा कि दोनों देशों के नेताओं ने कज़ान में आगे के रास्ते पर एकजुटता दिखाई और दोनों बोल्ट ने महसूस किया कि यह जरूरी है कि सिद्धांतों को स्थिर किया जाए, सिद्धांतों को दूर किया जाए और अगले कदम पर ध्यान केंद्रित किया जाए।

सीमा में स्नातक और सैनिकों की उपाधि

सैनिकों की वापसी की प्रक्रिया पूरी तरह से होने के बाद, भारतीय और चीनी सेना ने देपसांग और डेमचोक में एक-एक दौर की वापसी शुरू की है। दोनों स्टार्स ने एलएसआई पर सैनिकों की राखी राखी रखी है और अब तनाव को समग्रता में कम करने पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा। इस समय क्षेत्र में एलएसी पर दोनों स्टार्स के लगभग 50,000 से 60,000 सैनिक तैनात हैं।

कज़ान में हुई बैठक और भविष्य की रूपरेखा

ऐसा माना जाता है कि दोनों पक्ष कई संचार प्रणाली को फिर से तैयार करने की प्रक्रिया में हैं, जिसमें सरहद पर विशेष प्रतिनिधि बातचीत भी शामिल है। 23 अक्टूबर को रूस के कज़ान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच हुई बैठक के बाद दोनों देशों के बीच समझौता हुआ। इस बैठक में दोनों नेताओं ने एकजुटता की नींव पर भविष्य के कदम उठाए, जो अब लागू होने जा रहा है।

भविष्य में दोनों देशों के बीच विश्वसनीय विश्वास होगा?

सैन्य वापसी के बाद, भारतीय सेना विश्वास बहाली की कोशिश कर रही है और इस मकसद को हासिल करने के लिए दोनों स्टार्स को एक-दूसरे को कमजोर करना होगा। समझौते पर हस्ताक्षर के दो दिन बाद मोदी और शी ने रूसी शहर कजान में बातचीत की थी, जिसमें दोनों देशों के बीच दोस्ती और सहयोग पर जोर दिया गया था।

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