‘मुझे भरोसा है, सुप्रीम कोर्ट नहीं देगा दखल’, वक्फ कानून पर सुनवाई से पहले बोले किरेन रिजिजू

‘मुझे भरोसा है, सुप्रीम कोर्ट नहीं देगा दखल’, वक्फ कानून पर सुनवाई से पहले बोले किरेन रिजिजू

Kiren Rijiju on Waqf Act: वक्फ संशोधन कानून को खिलाफ देश के राज्यों में विरोध प्रदर्शन किया जा रहा है. पश्चिम बंगाल और त्रिपुरा समेत कई राज्यों में इस कानून के खिलाफ हिंसा भी भड़क उठी है. विपक्षी पार्टियों के कई नेता, मुस्लिम संगठनों ने इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है. इस बीच अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि उन्हें भरोसा है कि सुप्रीम कोर्ट विधायी मामलों में दखल नहीं देगा. 

‘सुप्रीम कोर्ट नहीं देगा दखल’

केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने पश्चिम बंगाल सरकार पर भी निशाना साधा. उन्होंने कहा, “बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने यह घोषणा की है कि वह राज्य में इस संशोधित कानून को लागू नहीं होने देंगी. ऐसे में क्या उनके पास इस पद पर रहने का कोई नैतिक या संवैधानिक अधिकार है?”

एनडीटीवी से बात करते हुए किरेन रिजिजू ने कहा, “सुप्रीम कोर्ट इस मामले में दखल नहीं देगा. अगर कल को सरकार न्यायपालिका में हस्तक्षेप करती है तो यह अच्छा नहीं होगा. हमें एक-दूसरे का सम्मान करना चाहिए. शक्तियों के बंटवारा कैसे होगा ये अच्छी तरह से परिभाषित है.”

‘दूसरे बिल की नहीं होती इतनी जांच’

सुप्रीम कोर्ट इस मामले में बुधवार (16 अप्रैल 2025) को सुनवाई करेगा. केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा, “मैंने किसी दूसरे बिल की इतनी गहन जांच होते नहीं देखी, जिसमें एक करोड़ प्रतिनिधित्वल को शामिल किया गया.” सुप्रीम कोर्ट ने पहले स्पष्ट किया था कि वह विधायिका के अधिकार क्षेत्र में दखल नहीं देगा. हालांकि संविधान से जुड़े मुद्दे को लेकर सुप्रीम कोर्ट याचिकाकर्ताओं की बात सुनने के लिए सहमत हो गया है. याचिकाकर्ताओं का दावा है कि यह संशोधित कानून समानता के अधिकार और धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार सहित कई मौलिक अधिकारों का हनन करता है.

बंगाल की सीएम ममता पर निशाना साधा

सीएम ममता बनर्जी ने कहा था कि वे बंगाल में वक्फ कानून को लागू नहीं करेंगी. इस पर केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा, “क्या ममता या कोई भी व्यक्ति लोगों की परवाह नहीं करता? वे मुसलमानों को केवल वोट बैंक समझते हैं. जो कोई भी ये कहता है कि भारत की संसद से पारित कानून को पालन नहीं करेगा, क्या उन्हें संविधान के प्रति को हाथ में रखने का कोई नैतिक या संवैधानिक अधिकार है? क्या वे अंबेडकर का सम्मान करते हैं? वे किस तरह का संदेश देना चाहते हैं? यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है.”

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