‘मोदी सरकार घबराकर पीछे हट गई’, IMF से पाकिस्तान को बेलआउट पैकेज पर वोटिंग पर बोली कांग्रेस

IMF Mortgage: कांग्रेस ने शुक्रवार (09 मई, 2025) को दावा किया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार पाकिस्तान को नया कर्ज देने के लिए आयोजित अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) की बैठक में मतदान से अलग हो गई, जबकि उसके खिलाफ मतदान करने का कड़ा संदेश गया होता.
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने एक्स पर पोस्ट किया, ‘बीते 29 अप्रैल को कांग्रेस ने मांग की थी कि भारत पाकिस्तान को आईएमएफ ऋण दिए जाने के खिलाफ मतदान करे, जिस पर आज इसके कार्यकारी बोर्ड ने विचार किया. भारत ने मतदान में हिस्सा नहीं लिया.’ उन्होंने आरोप लगाया मोदी सरकार घबराकर पीछे हट गई है. कांग्रेस नेता ने कहा, ‘पुरजोर तरीके से ना कहने का कड़ा संदेश गया होता.’’
भारत मतदान से रहा दूर
भारत ने शुक्रवार (09 मई, 2025) को पाकिस्तान को 2.3 अरब अमेरिकी डॉलर का नया ऋण देने के आईएमएफ के प्रस्ताव का विरोध किया और कहा कि इस धन का दुरुपयोग राज्य प्रायोजित सीमा पार आतंकवाद के वित्तपोषण के लिए किया जा सकता है. भारत इस संबंध में आयोजित अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष की महत्वपूर्ण बैठक में मतदान से दूर रहा. भारत ने एक जिम्मेदार सदस्य देश के रूप में पाकिस्तान के पिछले खराब रिकॉर्ड को देखते हुए आईएमएफ कार्यक्रमों पर चिंता जताई.
On April twenty ninth, the INC had demanded that India vote in opposition to the IMF mortgage to Pakistan, which was thought-about right now by its Government Board. India has solely abstained from the vote. The Modi Authorities has chickened out. A powerful NO would have despatched a robust sign. https://t.co/AhAwNyHnYo
— Jairam Ramesh (@Jairam_Ramesh) Might 9, 2025
वित्त मंत्रालय ने क्या कहा?
वित्त मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि पाकिस्तान को मिलने वाली इस धनराशि का इस्तेमाल राज्य प्रायोजित सीमा पार आतंकवाद के वित्तपोषण के लिए किया जा सकता है. विस्तारित निधि सुविधा (ईएफएफ) ऋण कार्यक्रम की समीक्षा करने के लिए आईएमएफ बोर्ड की शुक्रवार को बैठक हुई, जिसमें भारत ने अपना विरोध दर्ज कराया. इस बैठक में पाकिस्तान के लिए एक नए लचीलेपन और स्थिरता सुविधा (आरएसएफ) ऋण कार्यक्रम (1.3 अरब डॉलर) पर भी विचार किया गया.
भारत ने कहा कि सीमा पार आतंकवाद को बढ़ावा देने वाले को लगातार पुरस्कृत करने से वैश्विक समुदाय को एक खतरनाक संदेश जाता है. इससे वित्तपोषण करने वाली एजेंसियों और दाताओं की प्रतिष्ठा भी जोखिम में पड़ती है तथा वैश्विक मूल्यों का मजाक उड़ता है.
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