‘यूट्यूब इंटरव्यूज के आधार पर नहीं सुनाता हूं फैसला’, SG मेहता दे रहे थे दलील तो बोले CJI गवई

मुख्य न्यायाधीश भूषण रामकृष्ण गवई ने गुरुवार (7 अगस्त, 2025) को एक मामले पर सुनवाई करते हुए कहा कि वह यूट्यूब नहीं देखते हैं और न ही इंटरव्यूज या प्रेस रिपोर्ट्स के आधार पर किसी मामले का फैसला करते हैं. वह रोजाना सिर्फ अखबार पढ़ते हैं. उन्होंने यह टिप्पणी तब की जब कोर्ट में दलील दी गई कि जब किसी बड़े नेता के यहां छापेमारी होती है तो यूट्यूब चैनल्स पर इंटरव्यूज के जरिए नैरेटिव गढ़े जाते हैं.
सीजेआई बी आर गवई, जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा और जस्टिस विनोद चंद्रन की बेंच भूषण पावर एंड स्टील लिमिटेड के लिए जेएसडब्ल्यू स्टील की समाधान योजना से संबंधित एक समीक्षा याचिका पर सुनवाई कर रही थी. यह याचिका सुप्रीम कोर्ट के पुराने आदेश के खिलाफ दाखिल की गई है, जिसमें समाधान योजना को खारिज कर दिया गया था.
कमेटी फोर क्रेडिटर्स की तरफ से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता पेश हुए और उन्होंने कोर्ट को बताया कि प्रवर्तन निदेशालय ने जब्त किया गया 23 हजार करोड़ रुपये का कालाधन फ्रॉड का शिकार लोगों में बांटा है. इस दौरान सीजेआई गवई ने एसजी मेहता से पूछा कि ईडी की दोषसिद्धी दर कितनी है यानी आरोपियों में से कितने पर दोष सिद्ध हुआ है.
सीजेआई गवई के सवाल के जवाब में तुषार मेहता ने कहा कि ये एक अलग मुद्दा है. हालांकि, उन्होंने बड़े स्तर पर होने वाली वसूली का हवाला देकर ईडी का बचाव किया. उन्होंने कहा कि मीडिया की वजह से एजेंसी की इन सफलताओं का पता नहीं चल पाता है.
एसजी तुषार मेहता ने कहा कि दंडनीय अपराधों में भी दोषसिद्धी की दर बहुत कम है और उन्होंने देश की आपराधिक न्याय प्रणाली में मौजूद खामियों को इसका मुख्य कारण बताया. सुनवाई के दौरान मौजूद सीनियर लॉ ऑफिसर ने कहा, ‘कुछ मामले ऐसे हैं जिनमें नेताओं के यहां छापे पड़े, वहां भारी मात्रा में नकदी मिलने के कारण हमारी (नोट गिनने वाली) मशीनों ने काम करना बंद कर दिया… हमें नई मशीन लानी पड़ीं.’ उन्होंने कहा कि जब कुछ बड़े नेता पकड़े जाते हैं तो यूट्यूब इंटरव्यूज के जरिए कुछ नैरेटिव्स सेट किए जाते हैं.
सीजेआई बी आर गवई ने इस पर कहा, ‘हम नैरेटिव्स के आधार पर मामलों का फैसला नहीं करते… मैं न्यूज चैनल नहीं देखता. मैं सुबह सिर्फ 10-15 मिनट अखबारों की सुर्खियां देखता हूं.’ लॉ ऑफिसर ने कहा कि उन्हें पता है कि जज सोशल मीडिया और अदालतों के बाहर गढ़े जा रहे नैरेटिव्स के आधार पर मामलों के फैसले नहीं करते.
सुप्रीम कोर्ट की कई बेंच खासकर विपक्षी नेताओं से जुड़े धनशोधन के मामलों में प्रवर्तन निदेशालय की कथित मनमानी की आलोचना करती रही हैं. सीजेआई बी आर गवई की अगुवाई वाली बेंच ने 21 जुलाई को एक अन्य मामले में कहा था कि प्रवर्तन निदेशालय सारी हदें पार कर रहा है.