‘राजीव गांधी ने पाकिस्तान से बातचीत के लिए अमेरिका से क्यों मांगी मदद?’ निशिकांत दुबे का सवाल

‘राजीव गांधी ने पाकिस्तान से बातचीत के लिए अमेरिका से क्यों मांगी मदद?’ निशिकांत दुबे का सवाल

Nishikant Dubey Assault On Congress: बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने बुधवार (28 मई, 2025) को एक बार फिर गांधी परिवार पर निशाना साधा. उन्होंने पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति रोनाल्ड रीगन के राजीव गांधी को लिखे लेटर को लेकर कांग्रेस से सवाल किया है. उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि ‘गांधी’ होना आसान नहीं है.

निशिकांत दुबे ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर चिट्ठी शेयर करते हुए लिखा, “गांधी होना आसान नहीं. यह पत्र अमेरिकी राष्ट्रपति रोनाल्ड रीगन का तत्कालीन भारतीय प्रधानमंत्री राजीव गांधी के की ओर से लिखे पत्र के उत्तर में है. 1972 के शिमला समझौते के तहत जब यह तय हो गया कि भारत-पाकिस्तान के बीच किसी विवाद पर बातचीत केवल दोनों देशों के बीच होगी, कोई मध्यस्थ नहीं होगा, तो भारतीय तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने अमेरिकी राष्ट्रपति रीगन से पाकिस्तान से बातचीत के लिए मदद क्यों मांगी?”

शेयर की गई चिट्ठी में क्या है?

25 मार्च, 1987 को लिखी गई इस चिट्ठी में भारत-पाकिस्तान के बीच सीजफायर का कोई संकेत नहीं दिया दिया गया है लेकिन भविष्य में तनाव को करने के लिए पूर्वी और पश्चिमी यूरोप की प्रभावी प्रक्रियाओं की ओर इशारा जरूर करता है.

चिट्ठी में कहा गया है, “भविष्य में इसी तरह की दुर्भाग्यपूर्ण गलतफहमियों को रोकने में मदद करने के लिए, हमने पूर्वी और पश्चिमी यूरोप के बीच प्रभावी प्रक्रियाओं पर कुछ पृष्ठभूमि दी है. हम आपकी और पाकिस्तान दोनों सरकारों को अतिरिक्त जानकारी दे रहे हैं जो भविष्य में तनाव को कम करने में मदद कर सकती है.”

लेटर में साफतौर पर कहा गया, “हमारा उद्देश्य दखलंदाजी करना नहीं है, बल्कि संबंधों को बेहतर बनाने और क्षेत्रीय स्थिरता बढ़ाने के तरीकों पर जोर देना है.” हालांकि, इस चिट्ठी में कहा गया है कि राजीव गांधी ने मादक पदार्थों पर नियंत्रण के लिए भारत-पाकिस्तान द्विपक्षीय परामर्श में अमेरिकी ड्रग संपर्क एजेंटों को शामिल करने का प्रस्ताव दिया था.

‘भारत और पाकिस्तान सरकार की मदद करने में खुशी होगी’

इसमें कहा गया है, “मैं (रोनाल्ड रीगन) 7 जनवरी के आपके पत्र में दिए गए प्रस्ताव में विशेष रूप से रुचि रखता था कि अमेरिकी ड्रग संपर्क एजेंटों को आपके द्विपक्षीय नारकोटिक्स परामर्शों से जोड़ा जाए. मुझे पता है कि नारकोटिक्स की बुराई से लड़ना आपके लिए भी उतनी ही प्राथमिकता है जितनी कि मेरे लिए और मैं आपको आश्वासन देता हूं कि आप और पाकिस्तान सरकार जिस भी तरीके से मदद चाहें, हमें आपकी मदद करने में खुशी होगी.”

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