‘शतरंज खेलने जैसा, हम उन्हें शह और मात…’, ऑपरेशन सिंदूर की कैसे हुई थी प्लानिंग, आर्मी चीफ उप

सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने पहली बार ऑपरेशन सिंदूर की योजना और क्रियान्वयन के बारे में सार्वजनिक रूप से बात की. उन्होंने आईआईटी मद्रास में भारतीय सेना के अनुसंधान प्रकोष्ठ अग्निशोध के उद्घाटन के दौरान कहा कि ऑपरेशन सिंदूर की रणनीति शतरंज खेलने जैसी थी.
उन्होंने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर ग्रे ज़ोन में हुआ, जो अप्रत्याशित था और पारंपरिक सैन्य मुठभेड़ से बस थोड़ा ही कम था. ऑपरेशन सिंदूर में हमने जो किया, वह शतरंज खेलना था. इसका मतलब है कि हमें नहीं पता था कि दुश्मन क्या कदम उठाने वाला है और हम क्या करने वाले हैं. यह एक ग्रे ज़ोन था. उन्होंने आगे कहा कि ग्रे ज़ोन का मतलब है कि हम पारंपरिक ऑपरेशन नहीं कर रहे हैं, बल्कि हम कुछ ऐसा कर रहे हैं जो पारंपरिक ऑपरेशन से थोड़ा ही कम है.
रक्षा मंत्री ने आर्मी से क्या कहा था?
जनरल द्विवेदी ने बताया कि इसकी योजना 23 अप्रैल को शुरू हुई, जब तीनों सेना प्रमुखों और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इस बात पर सहमति जताई कि निर्णायक कार्रवाई ज़रूरी है. उन्होंने कहा कि यही वह समय था, जब रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी कहा कि मुझे लगता है कि अब बहुत हो गया और तीनों सेना प्रमुखों का रुख बिल्कुल स्पष्ट था कि कुछ तो करना ही होगा. निश्चित रूप से सेना को पूरी छूट दी गई थी कि वे तय करें कि क्या करना है.
उरी और बालाकोट से कैसे अलग था ऑपरेशन सिंदूर?
सेना प्रमुख ने कहा कि 25 अप्रैल तक उत्तरी कमान ने पहले ही 9 नियोजित लक्ष्यों में से 7 महत्वपूर्ण ठिकानों पर हमले की तैयारी कर ली थी और कई आतंकवादियों को मार गिराया था. उन्होंने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर उरी और बालाकोट जैसे पहले के अभियानों से अलग था. उन्होंने बताया कि 29 अप्रैल को हम पहली बार प्रधानमंत्री से मिले. ये बात मायने रखती है कि कैसे एक छोटा सा नाम ऑप सिंदूर पूरे देश को जोड़ता है. ये वो बात है जिसने पूरे देश को प्रेरित किया. यही वजह है कि पूरा देश कह रहा था कि तुम रुक क्यों गए? ये सवाल पूछा जा रहा था और इसका बखूबी जवाब भी मिला. उन्होंने आगे कहा कि अगर आप किसी पाकिस्तानी से पूछें कि तुम हारे या जीते, तो वो कहेगा कि मेरा आर्मी चीफ फील्ड मार्शल बन गया है. हम ही जीते होंगे, तभी तो वो फील्ड मार्शल बना है.
उन्होंने बताया कि उरी ऑपरेशन के दौरान, एक स्पष्ट संदेश देने के लिए लॉन्च पैड्स को निशाना बनाने पर ध्यान केंद्रित किया गया था. 2019 के बालाकोट हमलों का उद्देश्य जवाबी कार्रवाई के रूप में पाकिस्तान के अंदर प्रशिक्षण शिविरों को निशाना बनाना था. जबकि ऑपरेशन सिंदूर व्यापक और गहन था, दुश्मन के इलाके में और भी गहराई तक हमला किया गया. नर्सरी और मास्टर्स कोडनाम वाले महत्वपूर्ण ठिकानों को निशाना बनाया गया.
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