सरकार ने बनाई सड़क दुर्घटना में घायल लोगों के मुफ्त इलाज की नीति, सुप्रीम कोर्ट ने गंभीरता से ला

सरकार ने बनाई सड़क दुर्घटना में घायल लोगों के मुफ्त इलाज की नीति, सुप्रीम कोर्ट ने गंभीरता से ला

केंद्र सरकार ने सड़क दुर्घटना में घायल लोगों के तुंरत मुफ्त इलाज की योजना तैयार कर ली है. केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट को इसकी जानकारी दी. 5 मई से शुरू हुई इस योजना में घायल व्यक्ति को डेढ़ लाख रुपए तक का कैशलेस ट्रीटमेंट उपलब्ध करवाने का प्रावधान है. यह इलाज दुर्घटना के 7 दिन तक प्राप्त किया जा सकता है.

‘गंभीरता से करें लागू’
सुप्रीम कोर्ट ने सरकार के जवाब को रिकॉर्ड पर लेते हुए कहा है कि वह अगस्त में इस योजना की सफलता की समीक्षा करेगा. सरकार योजना को पूरी तरह लागू करे और अगली सुनवाई से पहले हलफनामा दायर करे. हलफनामे में सरकार यह बताए कि इससे कितने लोगों को कैशलेस ट्रीटमेंट का लाभ हुआ.

कोर्ट का आदेश
8 जनवरी को जस्टिस अभय एस ओका की अध्यक्षता वाली बेंच ने सरकार को ‘गोल्डन आवर’ के दौरान दुर्घटना पीड़ितों के कैशलेस इलाज की नीति बनाने को कहा था. कोर्ट ने कहा था कि संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत हर नागरिक को हासिल जीवन का अधिकार एक अनमोल अधिकार है. उसकी रक्षा करना सरकार का कर्तव्य है. मोटर व्हीकल एक्ट की धारा 162 के तहत भी केंद्र सरकार की जिम्मेदारी है कि वह ‘गोल्डन आवर’ के दौरान दुर्घटना पीड़ितों को कैशलेस इलाज उपलब्ध करवाने के लिए नीति बनाए.

क्या है गोल्डन आवर?
गंभीर चोट के बाद शुरुआती पहले घंटे को गोल्डन आवर यानी स्वर्णिम घंटा कहा जाता है. इस दौरान इलाज मिलने पर घायल की जान बचने की संभावना बढ़ जाती है, लेकिन अक्सर देखा जाता है कि दुर्घटना के तुरंत बाद के समय में घायल व्यक्ति का परिवार या उसका कोई दूसरा करीबी साथ नहीं होता है. इस दौरान हॉस्पिटल भी कभी पुलिस के आने का इंतजार करता है तो कभी पैसों के भुगतान को लेकर संदेह के चलते इलाज में टालमटोल करता है.

 ये भी पढ़ें:

‘अब हमने आतंकवाद से सारे रिश्ते तोड़ दिए’, PM मोदी की चेतावनी के बाद डरा पाकिस्तान; शहबाज सरकार का आया बयान

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *