सरदारों पर अब नहीं क्रांतिकारी जोक? सुप्रीम कोर्ट ने अहम मसला बताया, सुझाव को भी कहा

सरदारों पर अब नहीं क्रांतिकारी जोक? सुप्रीम कोर्ट ने अहम मसला बताया, सुझाव को भी कहा



<पी शैली="पाठ-संरेखण: औचित्य सिद्ध करें;"सरदार केस पर मजाक: सिखों का मजाक बनाने वाले चुटकुलों पर सुप्रीम कोर्ट के नियंत्रण ने एक महत्वपूर्ण विषय बताया है। इस संग्रहालय पर एक दस्तावेज़ की समीक्षा करते हुए अदालत ने प्रस्ताव दिया कि उसने दस्तावेजों की तरफ से सुझाव दिए हैं। 8 हफ्ते बाद मामला सुना जाएगा।

गुरुवार (21 नवंबर 2024) को इस मामले पर सुनवाई करते हुए जस्टिस बी आर गवई और के वी विश्वनाथन की बेंच ने इस मामले की सुनवाई की। ग्रोथ ने कहा कि पुरुषों और महिलाओं को अपनी वेशभूषा के बारे में सिखाना अजीब लगता है। उन्होंने कहा कि एक मामले में एक सिख छात्र ने मजाक से परेशान होकर आत्महत्या कर ली थी।

वकील हर मठाधीश चौधरी ने की थी तीर्थयात्रा

2015 दिल्ली के वकील हर मठाधीश चौधरी ने सुप्रीम कोर्ट में इस मसले पर याचिका दायर की थी। याचिका में कहा गया था कि इस तरह के चुटकुले सम्मान से कंपनी के मूल अधिकार का हनन करते हैं। जिन वेबसाइटों पर प्रकाशित किया जाता है, उन पर लिखा जाता है।

याचिकाकर्ता ने समाज के कई लोगों में सिखों को लेकर मजाक करने की प्रवृत्ति का भी जिक्र पत्र दर्ज किया था। उन्होंने स्कूल में सिख बच्चों को दोस्त छात्रों की तरफ से चिंता करने की भी बात कही। बाद में शिरोमणि ग्रैजुएशन कमेटी, दिल्ली सिखलाई ग्रैमीट्रेल कमेटी, मंजीत सिंह जीके और मंजिन्द्र सिंह सीकोइ ने भी पदयात्रा की। इसके अलावा नेपाली मूल के 2 छात्रों अक्षय प्रधान और माणिक सेठी ने भी नेपाली/गोरखा लोगों को स्मारक का पात्र बनाने का मसला उठाया।

अवांछित सामग्री को प्रतिबंधित करने की मांग

2016 में उनके खिलाफ केस दर्ज होने के बाद कोर्ट ने साफ कर दिया था कि वह इस तरह के चुटकुलों के गाइडलाइंस नहीं बना पाए। लेकिन इंटरनेट पर सामग्री की सामग्री पर रोक लगाने के लिए आवेदन पत्र दिया जा सकता है। इसके लिए न्यायालय ने सभी स्वादों से छूट दी थी। कोर्ट ने सिर्फ सिखाया ही नहीं, वैलिडिटी को उपहास का पात्र बनाकर न लेकर समाज में जागरूकता फैलाना भी सिखाया गया था।

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