‘सर्वेंट क्वार्टर’ नाम पर मिला दोस्त, कहा- स्टाफ को नौकर कहते हैं गुलाम की निशानी

‘सर्वेंट क्वार्टर’ नाम पर मिला दोस्त, कहा- स्टाफ को नौकर कहते हैं गुलाम की निशानी


सर्जरी में सी. थोक व्यापारी संतोष कुमार पी. ने संग्रहालय के एक पत्र में लिखा है कि स्माइक की रिक्शाशी कॉलोनी में सहयोगी स्टाफ के घर को ‘सर्वेंट क्वार्टर’ नाम दिया गया है, जिसमें जाने-माने दोस्त हैं और इसे क्लोनियल रियलिटी कहा जाता है। मुलायम संतोष कुमार ने कहा कि भारत जैसे लोकतांत्रिक देश में जनता की ओर से चुने गए डेमोक्रेट के सहयोगी कर्मचारियों को नौकर कहा जाना बेहद बेवकूफ है।

नाबालिग संतोष कुमार ने अपने पत्र में कहा है कि सामुदाय के सहयोगियों ने कहा कि संविधान में प्रदत्त विचारधारा के मूल सिद्धांत के खिलाफ है।

सर्वेंट क्वार्टर नाम को बदलाव की अपील

सी. सिद्धार्थ शुक्ला ने कहा, “समुदाय के सामुहिक निवास स्थान जगदीप धनखड़ से सार्वेंट क्वार्टर का नाम बदल दिया गया है। नामांकित संतोष कुमार ने अपने पत्र में कहा कि मार्केट्स की दुकानें भी सरकारी रिहायशी कॉलोन हैं, उन सभी में सहयोगी स्टाफ के घरों को सर्वेंट क्वार्टर का नाम बदला जाए। सरकारी नौकरी के कलाकारों में भी इसे बदला जाए.

सहयोगी कर्मचारियों के परिवार को एक ही जगह में जाने के लिए मजबूर किया जाता है

नाबालिग संतोष कुमार ने कहा कि दिल्ली के वल्लभ भाई पटेल हाउस (वीपी हाउस) में सहयोगी स्टाफ के घरों की हालत खराब है। बहुत से स्टाफ परिवार को एक ही शौचालय में जाना है। ऐसे में सहयोगी कर्मचारियों के घरों के नवीनीकरण और टिकटों की संख्या में वृद्धि की भी आवश्यकता है।

सहयोगी कर्मचारियों के मकानों को बड़ा करने की भी अपील

मिनेसोटा संतोष कुमार ने अपने पत्र में कलाकारों के सहयोगियों के मकानों में मौजूद बेहद कम जगह पर भी सवाल उठाए। सी जूनियर परिवार ने कहा कि ये मकान बेहद छोटे हैं और इनमें से एक बड़ी मुश्किल से ही राह मिलती है। ऐसे में एक सहयोगी कर्मचारी के परिवार को रहने के लिए स्टॉक स्थान मिलना चाहिए।

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