सार्वजनिक रूप से नवजात मोटरसाइकिल को दूध पिलाने की अलग जगह के लिए नीति बनायें केंद्र: SC
<पी शैली="पाठ-संरेखण: औचित्य सिद्ध करें;">सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा कि वह नवजात बच्चों को स्तनपान कराने के लिए हर सार्वजनिक जगह पर अलग-अलग कमरे की व्यवस्था पर नीति बनाए रखें। याचिका में कहा गया है कि इस तरह की सुविधाओं की कमी से नवजात बच्चों और उनके मां-बाप को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
‘मातृ स्पर्श’ नाम की संस्था की ओर से आवेदन पत्र में बताया गया है कि कुछ अपवादों को एयरपोर्ट और रेलवे स्टेशन जैसी महत्वपूर्ण संस्थाओं में भी नवजात शिशु देखभाल के लिए आवश्यक सामग्री उपलब्ध नहीं कराई जाती है। यह सुविधा इन संस्थानों के अलावा सभी सार्वजनिक स्थानों पर यूक्रेन में उपलब्ध है। इससे शिशु को आराम मिलता है और उसकी माँ को भी कठिन स्थिति का सामना नहीं करना पड़ता है।
मानवाधिकार दिवस के दिन की सुनवाई
10 अक्टूबर 2022 को इस याचिका पर जस्टिस दिनेश माहेश्वरी और जे के माहेश्वरी की पीठ ने केंद्र और सभी राज्यों को नोटिस जारी किया था। जजों ने इसे एक महत्वपूर्ण वसीयत कहा था। अब जस्टिस बी वी नागात्ना और एन कोटिश्वर सिंह की बेंच ने केंद्र सरकार से कहा है कि वह एक नीति तैयार करें. जस्टिस नागात्ना ने कहा, "हम 10 दिसंबर को सुनेंगे. वह दिन मानवाधिकार दिवस है. हम कोशिश करेंगे कि केस का आरोप कर दिया जाए."
कर्नाटक हाई कोर्ट ने पहले सुनाया फैसला
इससे पहले कर्नाटक हाई कोर्ट ने भी एक मामले में यह फैसला सुनाया था कि दूध पीना एक आदमी का अधिकार है। एक ही तरह के नवजात शिशु के लिए भी अपनी माँ से दूध प्राप्त करना एक आवश्यक अधिकार है। यह दोनों अधिकार संविधान के सिद्धांत 21 यानी जीवन के मूल अधिकार से सीधे जुड़े हुए हैं।
दिल्ली में बनाया जा रहा है शिशु देखभाल कक्ष
2018 में दिल्ली हाई कोर्ट ने भी एक सुनवाई की सुनवाई की थी। 2019 में हाई कोर्ट ने सरकार के इस जवाब के बाद मामले का समाधान कर दिया था कि दिल्ली में कई जगहों पर शिशु देखभाल (शिशु देखभाल) कक्ष बनाए जा रहे हैं। उन्होंने 9 महीने की उम्र में अव्यान रस्तोगी की मां वकील नोज़िया रस्तोगी की तरफ से याचिका दायर की थी। 2022 में उन्होंने पूरे देश में सुप्रीम कोर्ट में दाखिले के लिए यह व्यवस्था लागू की।