हिंद महासागर में ‘अश्वमेध यज्ञ’ के लिए निकला भारतीय नौसेना का INS सुनयना, साथ में हैं नौ देशों

INS Sunayna: भारतीय नौसेना का युद्धपोत आईएनएस सुनयना हिंद महासागर में एक खास मिशन पर निकला है, जिसे ‘अश्वमेध यज्ञ’ कहा जा रहा है. यह जहाज अपनी पहली यात्रा पर तंजानिया की राजधानी दार एस सलाम पहुंच गया है.
5 अप्रैल को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इसे कर्नाटक के कारवार बंदरगाह से रवाना किया था. यह मिशन अफ्रीकी देशों के साथ समुद्री सहयोग बढ़ाने के लिए शुरू किया गया है. इस यात्रा के दौरान, आईएनएस सुनयना पर भारतीय नौसेना के जवानों के साथ-साथ हिंद महासागर क्षेत्र के 9 देशों के नौसैनिक भी मौजूद हैं.
जानें क्या है इस जहाज का उद्देश्य
भारतीय नौसेना का जहाज ‘सुनयना’ दार-अस-सलाम से चलेगा और मोजाम्बिक के नकाला, मॉरीशस के पोर्ट लुइस, सेशेल्स के पोर्ट विक्टोरिया और मालदीव के माले होते हुए कोच्चि वापस आएगा. ये पूरा सफर करीब एक महीने तक चलेगा और इस समुद्री यात्रा को भारतीय नौसेना ने ‘आईओएस-सागर’ (Indian Ocean Ship – Sagar) नाम दिया है.
इस मिशन का मकसद किसी देश के बंदरगाह पर कब्जा करना नहीं है, बल्कि हिंद महासागर क्षेत्र में दोस्त देशों के साथ समुद्री सहयोग बढ़ाना है. जब आईएनएस सुनयना किसी देश के बंदरगाह पर पहुंचेगा, तो वह उस देश के विशेष समुद्री क्षेत्र (ईईजेड) की निगरानी में भी मदद करेगा, जिससे समुद्री सुरक्षा को मजबूत किया जा सके.
सागर नीति को पूरे हुए 10 साल
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ‘सागर नीति’ (SAGAR – Safety and Progress for All within the Area) को 10 साल पूरे हो गए हैं. अब भारतीय नौसेना ने इसे आगे बढ़ाते हुए एक नई नीति शुरू की है जिसे कहा गया है – ‘महासागर’ यानी Mutual and Holistic Development for Safety Throughout the Area (सभी के लिए साझा और समग्र सुरक्षा विकास).
इसी नीति के तहत, भारतीय नौसेना ‘आईओएस-सागर’ मिशन के साथ-साथ अफ्रीकी देशों के साथ एक साझा समुद्री अभ्यास करने जा रही है. इस अभ्यास को नाम दिया गया है ‘ऐकेमी’ (AIKEME) जिसका संस्कृत में मतलब होता है – एकता. इसका पूरा नाम है Africa-India Maritime Engagement Train (AIKEME). यह अभ्यास 13 से 18 अप्रैल के बीच होगा.
इस अभ्यास में भारत और तंजानिया के अलावा, कोमोरोस, जिबूती, इरिट्रिया, केन्या, मेडागास्कर, मॉरीशस, मोजाम्बिक, सेशेल्स और साउथ अफ्रीका की नौसेनाएं भी भाग लेंगी. दिलचस्प बात यह है कि जिबूती में चीन ने अपना पहला विदेशी नौसैनिक बेस बनाया है, जो सामरिक रूप से काफी अहम माना जाता है. अमेरिका के बाद चीन दूसरा ऐसा देश है जिसकी नौसेना वहां मौजूद है. इस समुद्री अभ्यास में भाग लेने के लिए भारतीय नौसेना के दो युद्धपोत-आईएनएस चेन्नई (डेस्ट्रॉयर) और आईएनएस केसरी (लैंडिंग शिप टैंक) – पहले ही दार एस सलाम (तंजानिया) पहुंच चुके हैं. यह अभ्यास पश्चिमी अफ्रीका के उन देशों के साथ किया जा रहा है, जिनका तट हिंद महासागर से लगता है.
समुद्री-दस्यु और तस्करी से ग्रस्त है अफ्रीका से सटा हिंद महासागर
अफ्रीका से लगे हिंद महासागर का इलाका लंबे समय से समुद्री लुटेरों (पायरेट्स) और तस्करों की गतिविधियों से परेशान रहा है. इस वजह से एशिया, अफ्रीका और यूरोप के बीच होने वाला समुद्री व्यापार कई बार बाधित होता है. यहां ड्रग्स और हथियारों की तस्करी के साथ-साथ गैरकानूनी तरीके से मछलियां पकड़ने (unlawful fishing) जैसी समस्याएं भी आम हैं.
ऐसे में ‘ऐकेमी’ समुद्री अभ्यास का मुख्य मकसद है:
- हिंद महासागर में पायरेसी (समुद्री डकैती) को रोकना
- ड्रग्स और अन्य तस्करी पर लगाम लगाना और साथ ही इस क्षेत्र में चीन के बढ़ते प्रभाव को संतुलित करना.
- इस अभ्यास के जरिए भारत मित्र देशों के साथ मिलकर समुद्री सुरक्षा को मजबूत करना चाहता है.