हिंसा के बाद सीएम बीरेन सिंह की कैबिनेट बैठक में 11 विधायक रहे विधायक; नवीनतमजारी
मणिपुर हिंसा: फ्रेंचाइजी के सचिवालय ने सोमवार (18 नवंबर 2024) को मुख्यमंत्री नोंगथोम्बम बीरेन सिंह की ओर से राज्य में कानून-व्यवस्था की स्थिति पर चर्चा के लिए आयोजित बैठक में भाग लेने वाले 11 को शामिल किया, जिसमें शामिल मंत्री भी शामिल हैं, को नोटिस जारी किया गया है.
राज्य में ताजा हिंसा और अशांति के बीच, राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) की एक महत्वपूर्ण बैठक 18 नवंबर को मुख्यमंत्री सचिवालय में हुई थी। इस बैठक में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बी सिंह ने कहा कि इसका उद्देश्य बढ़ते तनाव को समाप्त करना और शांति बहाली के लिए रणनीति तैयार करना है। बैठक में 38 कलाकारों में से 27 लोग शामिल थे, जबकि 11 लोग शामिल थे. इनमें से छह बेंचमार्क ने विशिष्टता से अपना अभाव दिया, जबकि पांच ने कोई वर्गीकरण नहीं किया।
बैठक में हिंसा की घटनाएं दर्ज की गईं
यह बैठक 16 नवंबर को जिरीबाम जिले में आतंकवादी हमलों के संदर्भ में आयोजित की गई थी, जिसमें छह महिलाओं और बच्चों की हत्या कर दी गई थी, जिसमें कथित तौर पर सशस्त्र उग्रवादियों द्वारा की गई समीक्षा शामिल थी। इस घटना ने राज्य भर में उभरी और कोलकता के बीच खाई और गहरा कर दिया। मुख्यमंत्री ने इस घटना की कड़ी निंदा की, जिसमें शामिल थे, एलिजाबेथ का मुकाबला करने के लिए और बोल्ट को न्याय में शामिल करने के लिए।
उग्रवादियों के ख़िलाफ़ कड़ी कार्रवाई ज़ोर से
16 नवंबर को राज्य महासभा की बैठक में निवेशकों का समर्थन किया गया। इनमें से एक केंद्र सरकार की ओर से सशस्त्र बल विशेषाधिकार कानून (AFSPA) को दोबारा शुरू करने की मांग भी शामिल थी, जो एक सांप्रदायिक अलगाव बना हुआ है। आतंकियों ने उग्रवादियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जरूरत पर जोर दिया, खासकर संयुक्त राष्ट्र सशस्त्र उग्रवादी जो शांति को भंग करने के लिए जिम्मेदार हैं।
हमलों के लिए जिम्मेदार उग्रवादी संगठन को अवैध संगठन घोषित करने की मांग की गई
एक महत्वपूर्ण प्रस्ताव के तहत, जिरीबाम हत्याओं में हिंसा के कई मामलों को राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) द्वारा बढ़ावा दिया गया, ताकि व्यापक जांच हो सके। इस तर्क ने यह तर्क दिया कि केंद्रीय जांच एजेंसी के सलाहकारों को गारंटी और राज्य में चल रही उद्यमों के पीछे के गहन उद्यमों को मिलाना। उन्होंने यह भी प्रस्ताव रखा कि जिरीबाम हमलों के लिए जिम्मेदार उग्रवादी संगठन को एक सप्ताह के अंदर “गैर कानूनी संगठन” घोषित किया जाए।
बिश्नोई ने कड़ी कार्रवाई की निंदा की
बैठक में सार्वजानिक और अधिकारियों पर लक्षित मराठा रुझान की भी चर्चा की गई। कई सामानों के घर और सामानों को थोक, तंबाकू और धमाकियों का सामना करना पड़ा है। आलोचकों ने इन कृतियों में निंदा के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है। उन्होंने उच्च-शास्त्रीय समिति की जांच के आधार पर इन कहानियों पर तत्काल कार्रवाई करने का आग्रह किया और सार्वजनिक सेवा की पवित्रता को बनाए रखने की आवश्यकताएं रखीं।
कानून-व्यवस्था की ऐतिहासिक स्थिति पर चर्चा का एक महत्वपूर्ण बिंदु
राज्य में कानून-व्यवस्था की वसीयत की स्थिति पर भी चर्चा एक महत्वपूर्ण बिंदु थी। चर्चा ने हिंसा के बढ़ते स्तर पर चिंता व्यक्त की और प्रभावशाली उपायों की कमी की आलोचना की। उनका पूर्व मूल्यांकन इस बात पर जोर देता है कि जबकि समुदाय-आधारित शांति प्रभावी साबित हुई है, लेकिन इन प्रयासों को बार-बार सेवा की ओर से विफल कर दिया जाता है। अंश ने शैलियों को मजबूत बनाने और शांति में आश्चर्यजनक कार्रवाई करने का संकल्प लिया।
क्या बोले बीरेन सिंह
मुख्यमंत्री बी सिंहरेन ने संकट का सामना करने के लिए एकजुटता की अपील करते हुए सामूहिक जिम्मेदारी की आवश्यकता बताई। उन्होंने कहा, “मणिपुर के लोग अमेरिका के नेतृत्व से उम्मीद कर रहे हैं। इस महत्वपूर्ण समय पर हम असफल नहीं हो सकते। यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम सभी नॉर्थ ईस्ट की सुरक्षा और स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए ठोस कदम उठाएं।”
11 अजातशत्रु का लापता होना
बैठक में 11 बैंचों को एक-एक अजातशत्रु से अलग कर दिया गया, जबकि छह ने अपने-अपने हिस्से में से एक को नामांकित कर दिया, जबकि बाकी पांच बॅचेल को कोई असंबद्धता नहीं दी गई, जिससे आलोचना हुई। कई उपस्थित नेताओं ने इस बात पर असहमति जताई कि इस महत्वपूर्ण चर्चा से उनकी अनुपस्थिति सरकार के संकट समाधान की नींव रखी जा सकती है। बैठक के समापन पर समीक्षा में चेतावनी दी गई कि यदि निर्धारित समय सीमा को लागू नहीं किया जाता है, तो वे अगले चरण के रूप में जनता से परामर्श करेंगे।
सीएम ने दी कार्रवाई की जिम्मेदारी
मुख्यमंत्री ने उन्हें कार्रवाई का निर्देश दिया और कहा कि जिम्मेदार लोगों के लिए सरकार कानून और व्यवस्था कायम रखे और हिंसा करे, न्याय के लिए दृढ़ संकल्पित है। इससे पहले, 16 नवंबर को राज्य मस्जिद ने जिरीबाम और बिष्णुपुर में नागरिकों की हत्या की निंदा की थी, जिसमें किमार, थाडौ और रोंगमेई नागा समुदाय के साथ चल रही शांति वार्ता को उजागर किया गया था, जो कि सोवियत संघ की ओर से बाधित थी। था. कैबिनेट मंत्री ने बोरबेरा पुलिस स्टेशन पर हमले के दौरान सीआरपीएफ के ठिकानों को नष्ट करने के लिए बोरोबेरा पुलिस स्टेशन का दौरा किया, जहां और दुर्घटना होने से बचा जा सका।
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