स्वास्थ्य मंत्रालय की जारी विज्ञप्ति में कहा गया है- प्रदूषण पर रोक लगाने के लिए सभी को साथ लाना होगा
सभी राज्यों को स्वास्थ्य सलाह: केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने वायु प्रदूषण पर आज 19 नवंबर, सोमवार को राज्य अमेरिका को पत्र लिखकर निर्देश जारी किये हैं। केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव पुण्य सलिलाश्री ने वायु प्रदूषण को लेकर स्पष्ट चिंता व्यक्त की है। संयुक्त राष्ट्र की ओर से कहा गया है कि बच्चों, गर्भवती महिलाओं, युवाओं, पहले से मौजूद समूह वाले लोग और प्रदूषण के संपर्क में आने वाले संयुक्त राष्ट्र सहित फ़्लोरिडा आबादी विशेष रूप से जोखिम में है। वायु प्रदूषण को लेकर सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के बीच जागरूकता बढ़ाने के निर्देश जारी किए गए हैं, जिसमें स्थायी स्वास्थ्य अवरोधकों को मजबूत करने और वायु प्रदूषण और जोखिम वाले देशों के बीच जागरूकता बढ़ाने के निर्देश दिए गए हैं।
वायु प्रदूषण पर स्वास्थ्य मंत्रालय की कार्रवाई
स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से कहा गया है कि जलवायु परिवर्तन और मानव स्वास्थ्य के लिए राज्य स्तरीय कार्य पहले से ही राष्ट्रीय जलवायु परिवर्तन और मानव स्वास्थ्य कार्यक्रम (एनपीसीसीएच) के अंतर्गत लागू होते हैं। अब अगला कदम यह होगा कि एनपीसीसीएच के तहत जलवायु परिवर्तन और स्वास्थ्य के लिए जिला और शहरी स्तर पर पर्यावरणीय कार्य विकसित किए जाएं, जिसमें वायु प्रदूषण के लिए रणनीति शामिल हो। इसके अलावा, सभी राज्यों या केंद्र शासित प्रदेशों में वायु प्रदूषण से संबंधित प्रयोगशालाओं की निगरानी के लिए सेंटिनल नेटवर्क का नेटवर्क हासिल करना भी बेहद महत्वपूर्ण है। मंत्रालय ने सभी राज्यों को इस मामले में काम करने के लिए कहा है।
वायु प्रदूषण पर स्वास्थ्य एड्री
मंत्रालय की ओर से वायु प्रदूषण पर जो हेल्थ एड जारी किया गया है, उसमें सबसे पहले वायु प्रदूषण क्या होता है और इससे संबंधित खतरे क्या हैं, इस बात का जिक्र किया गया है। वायु प्रदूषण के कारण होने वाले खतरनाक पॉल्यूटेंट जैसे पीएम 2.5, पीएम 10, कार्बन मोनोऑक्साइड, क्रोमियम ऑक्साइड के बारे में बताया गया है। इसमें कभी-कभी मेट्रिक्स मैस्टिक की रिपोर्ट का ज़िक्र किया गया है। साल 2019 में 1.7 मिलियन भारतीयों की मृत्यु वायु प्रदूषण के कारण हुई थी।
भारत में वायु प्रदूषण के कारण होने वाली अक्षमता-समयोजित जीवन वर्ष (DALYs) 11.5 प्रतिशत है, जिसमें फेफड़ों की बीमारी (COPD) 22.7 प्रतिशत, श्वसन तंत्र के विकार 15.5 प्रतिशत, फेफड़ों का कैंसर 11.3 प्रतिशत और अन्य बीमारियाँ भी शामिल हैं। हृदय रोग (इस्मिक हृदय रोग) के मामले 24.9 प्रतिशत, स्ट्रोक के मामले 11.7 प्रतिशत, मधुमेह (मधुमेह) के मामले 5.5 प्रतिशत और नवजात विकार 14.5 प्रतिशत मामले वायु प्रदूषण के कारण आ रहे हैं। वायु प्रदूषण के कारण 1.5 प्रतिशत लोगों को मोतियाबिंद की समस्या भी है।
वायु प्रदूषण के क्या कारण हैं?
देश में वायु प्रदूषण के मुख्य स्रोत बाहरी वायु प्रदूषण (एंबिएंट एयर पॉल्यूशन), औद्योगिक उपकरण (जीवाश्म जंगल कोयला, प्रक्रिया और टुकड़े टुकड़े टुकड़े), उद्यम का एमिशन, सड़क पर उड़ने वाली धूल, निर्माण और विध्वंस टुकड़े, प्राकृतिक संसाधनों से उत्पन्न ठोस पदार्थ, ठोस कोयला (क्रिस्टल) आदि, खाना पकाने और चिप्स के लिए ठोस पदार्थ का उपयोग किया जाता है। यह दस्तावेज वायु प्रदूषण भारत में स्वास्थ्य संबंधी गंभीर समस्याओं का कारण है और इसके लिए तत्काल ध्यान देना आवश्यक है।
वायु प्रदूषण का बुरा असर
वायु प्रदूषण का सबसे अधिक प्रभाव बच्चों, गर्भवती महिलाओं और बीमार लोगों पर पड़ता है। स्वास्थ्य मंत्रालय से मिली जानकारी के अनुसार वायु प्रदूषण से विशेष रूप से पांच साल से कम उम्र के बच्चों और गर्भवती महिलाओं पर खतरनाक असर पड़ सकता है। पहले के समय में लोगों को श्वसन, हृदय और सेरेब्रोवास्कुलर प्रणाली से जुड़ी समस्याओं से अधिक खतरा होता था।
इसके इलावा में निम्न सामाजिक-आर्थिक स्थिति, रहने की खराब पोषण स्थिति, खराब मकान में, खाना पकाने, मकान और प्रकाश व्यवस्था के लिए अवैध जलापूर्ति का उपयोग करने वाले लोग भी जोखिम में हैं। बाहरी काम करने वाले समूह जैसे कि बिजली पुलिस, निर्माण श्रमिक, सड़क साफ करने वाले, क्रेन खींचने वाले, ऑटो-चालक, सड़क किनारे विक्रेता और अन्य बाहरी वायु समन्वय वातावरण में काम करने वाले लोग भी जोखिम में हैं। घरेलू कार्य करने वाली महिलाएं खाना, खाना पकाने के लिए आग जलाने और कूड़ेदान के संपर्क में आने वाले लोग भी इस प्रदूषण का सामना कर रहे हैं।
पिछले महीने भी दिए गए थे निर्देश
पिछले महीने 19 अक्टूबर को भी स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से बढ़ते वायु प्रदूषण के स्तर पर नजर डालते हुए निर्देश जारी किये गये थे. उन्हें समेकित का समर्थन करने और स्थिर स्वास्थ्य प्रतिबंधों को मजबूत करने पर जोर दिया गया था, जिसमें सार्वजनिक जागरूकता अभियान को तेज करना, स्वास्थ्य देखभाल कार्यबल की क्षमता और प्राथमिक निगरानी में भागीदारी भागीदारी, जलवायु परिवर्तन और मानव स्वास्थ्य पर सार्वजनिक जागरूकता शामिल थी। , व्यक्तिगत डीजल या पेट्रोल से चलने वाले रेलवे स्टेशन पर सार्वजनिक परिवहन को बढ़ावा देना, डीजल-आधारित डीजल इंजन और स्मोकिंग पर उतार-चढ़ाव को बढ़ावा देना शामिल था। इसके साथ ही घर में खाना पकाने के लिए क्लीन्ज़र का चयन करना, खेल-कूद जैसे कि प्रोटोटाइप और व्यायाम पर प्रतिबंध लगाना चाहिए।
वायु प्रदूषण से उत्पादन के लिए राज्यों को निर्देश
वायु गुणवत्ता जानकारी प्राप्त करना
- राज्य स्वास्थ्य अधिकारी शहरों में दैनिक वायु गुणवत्ता डेटा की निगरानी करें, विशेष रूप से एनसीएपी शहरों में।
- सीपीसीबी वेबसाइट या राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से जानकारी प्राप्त की जा सकती है।
- समीर ऐप का उपयोग करके भी जानकारी प्राप्त की जा सकती है।
स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत बनाना
- वायु प्रदूषण से संबंधित स्वास्थ्य सेवाओं के लिए सेवाओं को मजबूत करना।
- वायु गुणवत्ता डेटा का उपयोग करना।
जन जागरूकता अभियान
- आईईसी सामग्री: पोस्टर, जीआईएफ, ऑडियो-वीडियो डिस्प्ले, सोशल मीडिया संदेश।
- स्थानीय समुद्री भोजन में आईइसी सामग्री और संदेश शामिल हैं।
- सोशल मीडिया पर अभियान चलाना।
जागरूकता अभियान के लिए चैनल
- सोशल मीडिया: ट्विटर, फेसबुक, फेसबुक, यूट्यूब, बिटकॉइन।
- पोस्टर, वॉल पेंटिंग, स्ट्रीट प्ले।
- रेडियो, टेलीविजन चैनल।
- परिवहन परिवहन वाहन.
स्वास्थ्य सेक्टर में क्षमता निर्माण और प्रदूषण से संबंधित प्रयोगशाला पर निगरानी
- स्वास्थ्य सेवाओं के लिए कार्य योजना विकसित करना (जिला, शहरी स्तर आदि)
- प्रशिक्षण कैलेंडर
- प्रशिक्षण मॉडल विकसित करना और प्रशिक्षण ऑफ ट्रेनर्स (टीओटी) का आयोजन
- ऑटोमोबाइल स्तर पर कोचिंग अधिकारी, ऑटोमोबाइल स्तर पर कोचिंग अधिकारी
निगरानी एवं निरीक्षण
- राज्य एवं केंद्र स्तर पर एनपीसीसीएच कार्यक्रम अधिकारियों की भूमिका
- सेंटिनल आर्किटेक्चर की स्थापना और विस्तार
- प्रत्येक सेंटिनल अस्पताल से दैनिक वायु प्रदूषण से संबंधित प्रयोगशाला की बातचीत
स्वास्थ्य सेवा प्रतिक्रिया तंत्र
- स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत बनाना
- अध्यापन और कर्मचारियों को प्लास्टिक से संबंधित अध्ययन पर अध्ययन करना
- दोस्ती की देखभाल कंपनी
- आपातकालीन
- रिफ़रल व्यवसाय
- एम्बुलेंस
- आउटरीच व्यवसाय
- की दवाइयाँ
- डायग्नोस्टिक लैबोरेटरी
- मेडिकल उपकरण जैसे ऑक्सीजन सप्लाई, नेबुलाइजर, सामान
स्वास्थ्य सचिव की ओर से कहा गया है कि वायु प्रदूषण हाल के वर्षों में एक महत्वपूर्ण स्वास्थ्य चुनौती बनी हुई है। एयरोस्क्वायस्कर (एक्यूआई) अक्सर खराब से लेकर गंभीर स्तर तक की रिपोर्ट देता है। विशेष रूप से महीनों के दौरान वायु प्रदूषण के स्वास्थ्य प्रभाव बहुआबश्यक होते हैं, जो केवल गंभीर समस्याओं को बढ़ावा नहीं देते हैं, बल्कि श्वसन, हृदय और मस्तिष्क संबंधी वैज्ञानिक आदि को प्रभावित करने वाली पुरानी को भी बनाते हैं। इसलिए इस पर सभी को मिलकर काम करने की छूट है।
यह भी पढ़ें