पीएम मोदी ने बताया मोटी चमड़ी का इंसान होना क्यों है जरूरी? चुटकुला सुनाकर बताई वजह

पीएम मोदी ने बताया मोटी चमड़ी का इंसान होना क्यों है जरूरी? चुटकुला सुनाकर बताई वजह

PM Narendra Modi remarks on Moti Chamdi: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपना पहला पॉडकास्ट रिकॉर्ड किया है. इसे जेरोधा के को-फाउंडर निखिल कामथ के यूट्यूब चैनल’पीपल बाय डब्ल्यूटीएफ’ पर प्रसारित किया गया है.  इस पॉडकास्ट में पीएम ने अपनी निजी जिंदगी, सीएम से पीएम तक के सफर, सार्वजनिक जीवन की चुनौतियों पर चर्चा की और बच्चों के सवालों के जवाब दिए. 

इस दौरान उन्होंने एक किस्सा सुनाते हुए कहा कि मोटी चमड़ी का होने के लिए ज्यादा सोचना नहीं चाहिए. पीएम ने कहा, “बच्चे मुझसे पूछते हैं कि खुद को टीवी पर देखकर कैसा लगता है.कुछ तो ये भी कहते हैं कि इतनी गालियां पड़ती हैं उससे कैसे निपटते हैं. मैं उनको चुटकुला सुनाता हूं, अहमदाबादी हूं और हमारी एक खासियत है कि हमारे चुटकुले बहुत अच्छे होते हैं.”

पीएम ने चुटकुले के जरिए बताई ये बात

पीएम ने कहा, “मैंने कहा कि एक अहमदाबादी स्कूटर से जा रहा था और किसी से भिड़ते भिड़ते बचा. सामने वाला नाराज हो गया. तू-तू मैं मैं शुरू हो गई और वो गालियां देने लगा. लेकिन जो अहमदाबादी था वो चुपचाप खड़ा रहा. इसी बीच कोई आया बोला कि तुम कैसे इंसान हो कोई गाली दे रहा है और तुम ऐसे ही खड़े हो.अहमदाबादी बोला कि वो कुछ ले तो नहीं रहा दे ही तो रहा है न. तो मैंने भी तभी सोच लिया कि ठीक है जो गालियां दे रहे हैं उनको देने दो. लेकिन आप सच की जमीन पर होने चाहिए और दिल में पाप नहीं होना चाहिए.”

हर सेक्टर में खटपट होती हैं, मोटी चमड़ी होने पर सोचने की जरूरत नहीं: पीएम

पीएम मोदी ने कहा, “अगर कोई राजनीति में नहीं है और किसी दफ्तर में काम करता है, तो क्या वहां ऐसा नहीं होता है? अगर कोई बड़ा परिवार है और दो भाइयों के बीच झगड़ा होता है, तो क्या वहां ऐसा होता है कि नहीं? जीवन के हर क्षेत्र में कम या ज्यादा हद तक ऐसा होता है. इसलिए, उस आधार पर बहुत मोटी चमड़ी होने के बारे में नहीं सोचना चाहिए. व्यक्ति को बेहद संवेदनशील होना चाहिए. सार्वजनिक जीवन में संवेदनशीलता के बिना आप लोगों का भला नहीं कर सकते. मेरा मानना ​​है कि सोशल मीडिया लोकतंत्र की बहुत बड़ी ताकत है. पहले, कुछ ही लोग आपकी सेवा करते थे. आप उसी को सच मानते थे. तब भी आप फंस जाते थे. आपके पास सच्चाई का पता लगाने का कोई विकल्प नहीं था. अगर कोई कहता कि एक लाख लोग मर गए, तो आप उस पर विश्वास कर लेंगे और मर जाएंगे.”

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